महान् रूसी कवि अलिक्सान्दर ब्लोक की कविताएं, अनुवाद : अनिल जनविजय

महान् रूसी कवि अलिक्सान्दर ब्लोक, जिनकी कविताओं पर पूरा रूस दीवाना है। 


अनुवाद  : अनिल जनविजय



1.



मौत की गोद में जा रहे हैं क़बीले
बीत रहे हैं तेज़ी से गुज़र रहे हैं साल
कोई छीन नहीं सकता दिन प्रेम के नशीले
कसमसाएँ दिल में जो करते हैं धमाल


सिर्फ़ एक बार देखना चाहता हूँ तुझे
झुकना चाहता हूँ क़दमों में तेरे, सरेआम
कहना चाहता हूँ मरने से पहले यह तुझे
प्रेम करता हूँ मैं आपको, मदाम !


2.



जानकर यह तुम कि जीवित हूँ मैं
ख़ूब गहरी नींद सो रही हो, प्रिया !
पर भड़क उठेगा मेरा गुस्सा जिस समय
तोड़ डालूँगा तब मैं, तुम्हारा यह जूआ


याद होगा तुम्हें शायद पुराना वह गीत
जिसमें आधी रात को मृतक एक किशोर
क़ब्र से उठ आया था निभाने को रीत
फिर साथ ले गया अपने वह कन्या चित्त-चोर


ओ अनुपमे ! ओ सुलक्षणे ! तू विश्वास कर मेरा
बहुत भोली और पवित्र, प्यारी बालिका है तू
जीवित हूँ मैं अभी, हिया मेरा बघेरा
सभी मृतकों से बलशाली है अभी मेरी रुह