नाइजीरिया के कवि नीयी ओसुन्दरे की कविता ...

नाइजीरिया के कवि नीयी ओसुन्दरे की कविता ...


इस कवि से और विराट जुझारू, जनपक्षधर अफ्रीकी साहित्य से परिचय कराने के लिए  Anand Swaroop Verma को धन्यवाद


(व्हाट्सएप ग्रुप एकेडमिक से साभार।)


ढोंगी विद्रोही
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बताओ हमें 
कि तुम असली क्रन्तिकारी हो 
या ढोंगी राजा 
मुकुट के इन्तजार में?


हम जगाये जाते रहे
अनगिनत बार 
रातों में मुखौटाधारी विद्रोहियों द्वारा 
हमें बताते हुए कि व्यवस्था ख़राब है
और एक ही रास्ता है जिधर जाना चाहिए इसे
नीचे की ओर


उनके मुँह में जो आग थी 
उसने रौशन किया हमारे शक के अँधेरे को  
उनकी आवाज का लहजा 
इतना भारी लग रहा था
जो काफी था लाखों उम्मीदों को फाँसी चढ़ाने के लिए


हमने सोचा 
आखिरकार आये यहाँ ग़रीबों के साथी
जो जानते हैं अनाज की कीमत 
क्या है बाजार में
क्या मायने है सुबह जागना 
जेब में बिना एक भी छेदाम के 
जिन्दगी बिताना सिर पर छत के बिना
बीमारी और बदहाली के एक परिवार में 
हमने सोचा 
जो जानता है 
बिना जूते के तलवों के फफोलों को 


दिन के उजाले में 
वह आग गायब हो गयी
बुझ गयी महत्वाकांक्षा की एक भोर में  
लुभावनी ओस की ठण्ड से 


दोपहर होते-होते
वह लहजा झुलस गया 
पाखण्ड की धूप में 
जैसे लू से झुलसी बेल पर लटका खरबूज 


हमारी यादों में पैरों के निशान हैं
छुछिया फायर करनेवालों के
आश्वासनों की फेरी लगाने वालों के 
और गद्दारों के आगे दंडवत करनेवालों के 
पंजों के बल लौटते मिमियाते हुए 
'सुप्रभात'
जबकि एक समय वे चिल्लाये थे 
'शुभ रात्रि'


इसलिए हम पूछते हैं 
क्या तुम असली क्रन्तिकारी हो 
या ढोंगी राजा 
मुकुट के इन्तजार में?