उसको फाँसी दे दो
गोरख पाण्डेय
वह कहता है उसको रोटी-कपड़ा चाहिए
बस इतना ही नहीं, उसे न्याय भी चाहिए
इस पर से उसको सचमुच आज़ादी चाहिए
उसको फाँसी दे दो।
वह कहता है उसे हमेशा काम चाहिए
सिर्फ काम ही नहीं, काम का फल भी चाहिए
काम और फल पर बेरोक दखल भी चाहिए
उसको फाँसी दे दो।
वह कहता है कोरा भाषण नहीं चाहिए
झूठे वादे हिंसक शासन नहीं चाहिए
भूखे-नंगे लोगों की जलती छाती पर
नक़ली जनतंत्री सिंहासन नहीं चाहिए
उसको फाँसी दे दो।
वह कहता है अब वह सबके साथ चलेगा
वह शोषण पर टिकी व्यवस्था को बदलेगा
किसी विदेशी ताकत से वह मिला हुआ है
उसकी इस ग़द्दारी का फल तुरत मिलेगा
आओ देशभक्त जल्लादो!
पूँजी के विश्वस्त पियादो!
उसको फाँसी दे दो।